मार्गशाला का जन्म ग्रामीण समाज के युवाओं के विचारों को रूपांतरित करने के लिए हुआ था | मार्गशाला का उद्देश्य है गांव व छोटे शहरों के युवाओं के मनों को जागरूक कर के अपने जीविका को नए अवसरों और तकनीकों के द्वारा बेहतर बना सकते हैं | भारत के ग्रामीण छेत्रों के युवाओं के किस्से अक्सर शहरी तौर-तरीकों और ग़रीबी की उलझनों में खो जाते हैं | परन्तु मार्गशाला के युवाओं के उम्मीद और सपनों के किस्से और कहानियांन कुछ अलग ही हैं |
रुद्रांश पाल, मार्गशाला के एक उत्साहिक युवा हैं, जिनकी भी अपनी एक उम्मीदों से भरी कहानी हैं | रुद्रांश पिथौरागढ़ से हैं | उनको हमेशा से लगता था की उत्तराखंड में पर्यटन के छेत्र में काफी अवसर हो सकते हैं| उन्हें इसी छेत्र में काफी समय से कुछ करना था| उनका सपना था की वे पर्यटन मे अपना बिज़नस स्थापित करे, जिसके द्वारा उत्तराखंड के पर्यटन उद्योग की भी उन्नति हो | परन्तु इस कार्य के लिए उन्हें धन तथा सही सलाह और मार्गदर्शन की भी आवश्यकता थी |
करोनाविरस के द्वारा फैली महामारी के कारण पुरे विश्र्व के पर्यटन उद्योग पर भारी रोक आ पड़ी थी| रुद्रांश को लगा कि यह समय अपने उद्योग को शुरू करने के लिए उचित नहीं हैं | परन्तु घर की स्तिथि भी ठीक नहीं थी| अन्य ग्रामीण छेत्र के युवाओं की तरह उन पर भी जीवन में कुछ करने का बूझ था और साधन की कमी | शुरू में रुद्रांश को कॉलेज जॉइन करना था, पर धीरे धीरे उनका मन पढाई से दूर हो गया और वे पर्यटन उद्योग में कार्य करने को सोचने लगे | इसी दौरान उन्हें हरेला समाज और उनके कार्य के बारे में मालूम हुआ | रुद्रांश की मुलाकात, हरेला समाज के संस्थापक मनु दफाली से हुई | हरेला समाज, पर्यावरण संरक्षण की ओर युवाओं को जागरूक करने का कार्य करता हैं | इस समाज से जुड़ने के साथ रुद्रांश को अपने पर्यटन उद्योग को शुरू करने की प्रेरणा मिली |
मनु दफाली के द्वारा रुद्रांश को मार्गशाला की जानकारी हुई, जिन्हे रुद्रांश प्यार से मनु दा बुलाते है | वे कहते है, “में कचरा प्रबन्धन का कार्य कर रहा था जो लॉकडाउन के कारन बंद हो गया |”
उस दौरान रुद्रांश ने मार्गशाला के अधिवेशनों में भाग लेना शुरू किया | “लॉकडाउन में कुछ खास हो नहीं रहा था और मार्गशाला उम्मीद की किरण के रूप में मेरे जीवन में आया | कुछ न करने से हम आसानी से अपना रास्ता भूल जाते है, परन्तु मार्गशाला से में अपने सपनों को पूरा करने के जूनून में बना रहा |”
मार्गशाला के समाप्त होते ही लॉकडाउन भी उठ गया और रुद्रांश ने अपने उद्योग को शुरू करने का विचार किया | हाल ही में रुद्रांश ने अपने ऑफिस और होमस्टे को सरकारी रूप से दर्ज कराया | जिस प्रकार पर्यटन फिर से शुरू हो रहा है, रुद्रांश को उम्मीद है इससे उनके बिज़नेस में बहुत फायदा हो सकता है | रुद्रांश ने अपने मित्र के साथ ब्लिस्फुल हिमालय नाम टूरिस्ट एजेंसी की शुरुआत भी कर ली हैं | उनका लक्ष्य है की वे एको – टूरिज़्म यानी ऐसा पर्यटन को जागरूक करे जो पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा है | वे पर्यटन को ग्रामीण छेत्रों में फैलाना चाहते है जहाँ से राज्य के इन छेत्रों को मान्यता प्राप्त हो | रुद्रांश को लगता है की सही निर्देशन से इन स्थलों को काफी मान्यता प्राप्त हो सकती है |
आज रुद्रांश और उनके मित्र के साथ दो और कर्मचारी जुड़े हुए है | वे खुश हैं कि Blissful Himalaya की वेबसाइट अब शुरू हो चुकी है | उन्हें उम्मीद है कि इससे वे लोगों की बेरोज़गारी दूर कर सके और एको – टूरिज़्म को उत्तराखंड में फ़ैला पाएँ |