कर्नाटक के मैसूरु की सीमा प्रसाद से मिलें, जिन्होंने हमारे दिन–प्रतिदिन के जीवन में प्लास्टिक के उपयोग को कम करने का एक तरीका ढूंढ लिया है। प्लास्टिक के उपयोग के लिए उनका जवाब एक अकल्पनीय लौकी है। वह इस सब्जी की मोटी त्वचा से कई सामान जैसे कंटेनर, भंडारण बर्तन, फूलदान, पेन स्टैंड, लैंपशेड आदि बनाती है। उन्होंने अपने पति कृष्ण प्रसाद के साथ 2017 में अपना खुद का उद्यम कृषिकला लॉन्च किया। महिलाओं, बच्चों, कॉर्पोरेट कर्मचारियों, कारीगरों और किसानों को लौकी का उपयोग करने और उन्हें दिन–प्रतिदिन सुंदर और सजावटी बनाने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। सीमा की उद्यमशीलता न केवल टिकाऊ है, बल्कि इसका उद्देश्य जनजातीय और ग्रामीण महिलाओं की आजीविका बनाना है।
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