हम मार्गशाला के पूर्व छात्रों की कुछ प्रेरणा भारी कहानियों को आप तक पहुँचने की कोशिश कर रहे हैं | इन कहानियों के द्वारा आप देखेंगे किस तरह सपनों से हम जीवन को और उसे जीने के नज़रिये को बदल सकते हैं | आज की कहानी पिथौरागढ़ के किशोर की हैं |   

आज किशोर एक उभरते हुए व्यवसायी हैं, जो शुरुआत में अन्य उत्तराखंड के युवकों की तरह  फौज में दाखिल होना चाहते थे | बहुत से युवाओं से बात करने के बाद, हमने सीखा है कि उत्तराखंड के युवा अन्य क्षेत्रों के युवाओं से अलग हैं, यहां के ज़्यादातर युवा फ़ौज में जाना चाहते हैं | इसी के साथ किशोर ने भी डिफेंस की प्रार्थमिक परीक्षा दी थी | किशोर ने फिटनेस परीक्षा को पास कर लिया लेकिन वह लिखित में फ़ैल हो गया | किशोर कहते हैं, “ मुझे कुछ ख़ास रूचि नहीं थी पढ़ने में |” 

पर ये तोह शुरुआत थी | किशोर ने कंप्यूटर साधनों की ट्रैंनिंग प्राप्त की और सरकारी विभाग में स्किल अकादमी के उपरान्त एक नौकरी पर आवेदन कराया | परीक्षा पास करने पर किशोर २०१५ ने यह नौकरी कर ली | “ पर वेतन उतना नहीं था, इसी कारन मैंने ट्रैकिंग की शुरआत की|”

किशोर अन्य पर्यटन समुदाई को ट्रैकिंग में ले जाते थे, जो देश के विभिन्न छेत्रों से आया करते थे | किशोर और उनके मित्र पर्यटन समुदाईको मार्गदर्शन तथा उनके सामान को उठाना और घूमने का कार्य करने लगे | उसके पास अपनी कोई टूरिस्ट एजेंसी या पर्यटन संस्था नहीं थी, विभिन्न संपर्क व् सम्बन्धो के द्वारा, किशोर को ये अवसर मिल जाया करते थे | इससे उन्हें कुछ नया देखने को भी मिलता था तथा कुछ पैसे भी मिल जाते थे |  इसी के साथ किशोर की ट्रैकिंग उद्योग की  स्थापना हुई | 

क्यूंकि किशोर स्किल अकादमी में भी काम करते थे, तो इस दौरान काम काफी मुश्किल था | किशोर ने अपने दोनों ही कार्यों को संभाला और साथ ही अपनी साड़ी ज़िम्मेदारी पूरी भी की | पर कोवीड के आने से सब कुछ बदल गया |

पान्डेमिक के कारन सभी को काफी नुक्सान पहुंचा साथ ही किशोर को भी अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी | इस दौरान उन्होंने मार्गशाला में दाखिला लिया | किशोर कहते हैं,  “ मार्गशाला मार्गदर्शन के रूप में था |” इस प्रोग्राम से उन्हें उम्मीद की नयी किरण भी दिखाई पड़ी | “ इसकी सबसे अछि बात यह है कि जो लोग शुरू में हमारे साथ थे, वे आज भी हमारे साथ जुड़े हुए हैं, प्रोग्राम के ख़तम होने के बाद भी |”

मार्गशाला के दौरान किशोर भी अपने ट्रैकिंग उद्योग की ओर बढ़ने लगे | लॉकडाउन ने भले ही हमारे जीवन को बदल दिया, पर हमारी आशओं और उमीदों को नहीं | किशोर अपनी गाडी को भी रेंट में देने लगे हैं जिसका उपयोग पर्यटक घूमने के लिए करते हैं | उनके उद्योग ने उन्हें प्रेरणा दी हैं और साथ ही यह अनुभव भी कराया कि किस तरह से सपने पहाड़ी युवाओं के सफलतापूवक जीवन का भी हिस्सा बन जाते हैं |

 

यदि किशोर की कहानी ने आपको भी उत्तराखंड में रहते हुए एक उद्यमी बनने के लिए प्रेरित किया, तो आज ही मार्गशाला से जुड़ें!
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